फिर से होगा गरीबों का सर्वे
फिर से होगा गरीबों का सर्वे
नई दिल्ली. 3 अक्टूबर 2011
योजना आयोग के उपाध्यक्ष
मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने ऐलान किया है कि सामाजिक-आर्थिक आधार पर देश में फिर से
सर्वेक्षण किया जाएगा. इसके तहत ग्रामीण इलाकों में गरीबों की गिनती होगी.
आहलूवालिया के मुताबिक इसी सर्वे के आधार पर कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा.
उनके साथ उपस्थित केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि यह सर्वे
जनवरी, 2012 तक पूरी कर लिया जाएगा. रमेश के मुताबिक जातिगत जनगणना के साथ ही इस
सर्वे का काम ग्रामीण विकास मंत्रालय कराएगा.
आहलूवालिया ने कहा कि योजना आयोग पर गरीबों की संख्या कम दिखाने के आरोप लगते हैं,
जो बिल्कुल गलत हैं. उन्होंने कहा कि योजना आयोग अपनी राय के आधार पर काम नहीं करता
है, बल्कि समितियों की सिफारिशें मानता है. उन्होंने शहरों में 32 रुपये और गांवों
में 26 रुपये रोज खर्च करने वाले को गरीबी रेखा से ऊपर माने जाने को जायज ठहराते
हुए कहा कि इसे एक व्यक्ति के खर्चे के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.
ज्ञात रहे कि योजना आयोग ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दे कर कहा था कि शहरी
इलाक़ों में रह रहा कोई भी व्यक्ति जो रोज़ाना 32 रुपए से ज़्यादा ख़र्च करता है वो
ग़रीब नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रूपए के आंकड़े को 26 पर रखा गया था.
सोमवार को मोंटेक सिंह ने कहा कि जब आप इन आंकड़ों को पूरे परिवार के मासिक खर्च के
तौर पर देखेंगे तो यह अधिक हो जाता है. हालांकि, उन्होंने साफ किया कि बावजूद इसके
यह बहुत ही कम रकम है. मोंटेक ने कहा, 'वह तेंडुलकर समिति की राय थी. उसी के आधार
पर आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के सवालों के जवाब देते हुए वह हलफनामा दायर किया था.'
आहलूवालिया ने कहा कि गरीबी रेखा के नीचे या उसके ऊपर मौजूद निम्न मध्य वर्ग पर भी
काफी दबाव है. योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने साफ किया कि योजना आयोग ने कभी भी यह
नहीं कहा कि देश की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ गरीबी रेखा के नीचे के ही लोगों को
मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि योजना आयोग की हमेशा कोशिश रही है कि गरीबी रेखा से
नीचे (बीपीएल) से कहीं ज़्यादा समाज के एक बड़े वर्ग को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ
मिलना चाहिए.