मायावती का दलित प्रधानमंत्री कार्ड बनेगा चुनावी मुद्दा
मायावती का दलित प्रधानमंत्री कार्ड बनेगा चुनावी मुद्दा
नई दिल्ली. 15 अक्टूबर 2011
उत्तरप्रदेश की
मुख्यमंत्री मायावती द्वारा देश के प्रधानमंत्री पद पर किसी दलित को बैठाये जाने
संबंधी बयान को राजनीतिक गलियारे में चुनावी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.
अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में मायावती का यह दलित कार्ड एक बार फिर
से चुनाव में महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है और इस पद के दूसरे दावेदार भी दलित
प्रधानमंत्री के मुद्दे को हवा दे सकते हैं.
गौरतलब है कि शुक्रवार को नोएडा में लगभग पौने सात सौ करोड़ रुपयों की लागत से बने
राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल का उदघाटन करते हुए मायावती ने कांग्रेस पार्टी पर
आरोप लगाते हुये कहा कि बाबू जगजीवन राम के सही उम्मीदवार होने के बावजूद उन्हें
प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया था. लेकिन अब बसपा की ताकत से कांग्रेस घबरा गई है.
मायावती ने कहा कि कांग्रेस भी अब मुझसे घबराती है. मुमकिन है कि कांग्रेस कुछ समय
के लिये मीरा कुमार या सुशील कुमार शिंदे को प्रधानमंत्री बना सकती है.
मायावती के इस बयान से दलित प्रधानमंत्री के दावेदारों को एकजुट होने का अवसर मिल
सकता है. पिछले लोकसभा चुनाव में भी राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और लोक जनशक्ति
पार्टी के रामविलास पासवान ने प्रधानमंत्री पद के लिये किसी दलित को उम्मीदवार
बनाये जाने की मांग करते हुए अपना नाम आगे किया था. रामविलास पासवान ने कहा था कि
लालूप्रसाद अपनी पारी पूरी कर चुके हैं और अब बिहार में संप्रग को और मौका दिया गया
तो देश का नेतृत्व करने की उनकी बारी है. लेकिन दोनों धुरंधरों की पार्टियों का
इतना खराब प्रदर्शन हुआ कि यह मुद्दा परवान ही नहीं चढ़ पाया.
लोकसभा चुनाव के दौरान ही मायावती ने कहा था कि अगर जनता दलित की बेटी को
प्रधानमंत्री बनाती है तो उत्तर प्रदेश का नाम पूरी दुनिया में चर्चित होगा.
उन्होंने यह भी वादा किया था कि अगर वो प्रधानमंत्री बनीं तो उत्तर प्रदेश को विशेष
राज्य का दर्जा मिलेगा. लेकिन मायावती की चल नहीं पाई और सरकार बनाने की बात तो
दूर, उन्होंने दिल्ली के बजाय उत्तरप्रदेश में ही रहकर राजनीति करना मुनासिब समझा.
मायावती के ताज़ा बयान में मीरा कुमार का नाम उछाले जाने के भी खास अर्थ लगाये जा
रहे हैं. मीरा कुमार के पिता बाबू जगजीवन राम भारत के प्रथम दलित उप-प्रधानमंत्री
एवं राजनेता थे, जो राजनीतिक विरोधियों के कारण प्रधानमंत्री नहीं बन पाये थे.
कांग्रेस के भीतर भी पिछले चुनाव में दलित प्रधानमंत्री की सुगबुगाहट हुई थी और
माना जाता है कि मीरा कुमार की लोकसभा अध्यक्ष पद पर ताजपोशी इन्हीं सुगबुगाहटों के
कारण संभव हो सकी.
मायावती के बयान पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मुद्दे को लगभग टालने वाले
अंदाज में कहा है कि डाक्टर मनमोहन सिंह देश के बेहद ईमानदार प्रधानमंत्री हैं और
अभी तो कोई पद खाली ही नहीं है. लेकिन ऐसे समय में जब कांग्रेस के युवराज राहुल
गांधी उत्तर प्रदेश में दलितों के घर खाना खा कर, उनसे नजदीकी बढ़ाने में जुटे हुये
हैं, मायावती का ताजा बयान कम से कम उत्तर प्रदेश में उनके लिये तो मुश्किलें पैदा
कर ही सकता है.