अब संघ के हिंदू सम्मेलन में दिग्विजय सिंह
अब संघ के हिंदू सम्मेलन में दिग्विजय सिंह
नई दिल्ली. 5 जनवरी 2012
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता नानजी देशमुख के साथ कांग्रेस महासचिव दिग्विजय
सिंह की फोटो के बाद अब संघ ने दिग्गी राजा की कुछ और तस्वीरें सामने लाई हैं.
आरएसएस ने अपने मुखपत्र पांचजन्य में दिग्विजय सिंह की संघ के प्रमुख रहे रज्जू
भैया और विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल के साथ की एक तस्वीर प्रकाशित
करते हुये उनके आरोपों का जवाब देने की कोशिश की है.
तत्कालीन संघ के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ऊर्फ रज्जू भैया और विश्वहिंदू परिषद के
तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल के साथ की यह तस्वीर 1997 में हरिद्वार में आयोजित
विराट हिंदू सम्मेलन की है. इस तस्वीर में दिग्विजय सिंह इन दोनों हिंदू नेताओं के
बीच में बैठे हुये हैं.
पांचजन्य में- अपने गिरेबां में झांके दिग्विजय सिंह शीर्षक से लिखे लेख में सवाल
खड़ा किया गया है कि दिग्विजय सिंह म.प्र. के मुख्यमंत्री रहते हुए 21 अक्तूबर 1997
को हरिद्वार में आयोजित विराट हिन्दू सम्मेलन में उपस्थित होकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ के सरसंघचालक प्रो. राजेन्द्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया व विश्व हिन्दू परिषद के
अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल के साथ मंच साझा कर चुके हैं तो क्या वह
स्वयं भी संघ के एजेंट हो गए?
लेख में आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस ने पूर्व में वह इस खिताब यानी संघ का एजेंट
से बाबू जयप्रकाश नारायण, चंद्रशेखर व विश्वनाथ प्रताप सिंह तक को नवाज चुकी है और
अब जब बाबा रामदेव व अण्णा हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार व कालेधन को लेकर
कांग्रेसनीत मनमोहन सरकार के खिलाफ पूरे देश में जबर्दस्त जनांदोलन चल रहा है तो इस
जनाक्रोश को बेअसर करने के लिए वह इन दोनों को "संघ का एजेंट" बता रही है.
लेख में कहा गया है कि इस मुहिम की कमान सोनिया गांधी ने अपने चहेते दिग्विजय सिंह
को सौंप रखी है, जो ढूंढ-ढूंढकर ऐसे नुक्ते तलाश रहे हैं, जिससे बाबा रामदेव व
अण्णा हजारे की संघ से निकटता दिखाकर उन्हें कटघरे में खड़ा कर सकें ताकि उनका
आंदोलन विवादास्पद बनाया जा सके.
दिग्विजय सिंह को कटघरे में खड़े करने वाले इस लेख में कहा गया है कि पूर्व
राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम, प्रमुख कांग्रेसी नेता बलराम जाखड़, समाजवादी पार्टी के
अध्यक्ष मुलायम सिंह सदृश अनेक लोग नानाजी देशमुख के ग्राम विकास प्रकल्प के अद्भुत
प्रयोगों से हजारों गांवों की खुशहाली व आत्मनिर्भरता से प्रभावित होकर समय-समय पर
विभिन्न कार्यक्रमों में मंच पर नानाजी के साथ बैठे तो क्या वे "संघ के एजेंट" हो
गए?