मूर्तियों पर चुनाव आयोग के खिलाफ याचिका वापस
मूर्तियों पर चुनाव आयोग के खिलाफ याचिका वापस
इलाहाबाद. 11 जनवरी 2012
हाथी और मुख्यमंत्री मायावती की मूर्तियों को ढँकने के चुनाव आयोग के आदेश के
ख़िलाफ़ न्यायालय में दाख़िल की गई निजी याचिका वापस ले ली गई है. यह याचिका
इलाहाबाद के एक सामाजिक कार्यकर्ता धीरज सिंह ने दायर की थी. इस याचिका में कहा गया
था कि हाथी हिंदुओं के देव भगवान गणेश का प्रतिनिधित्व करता है और हाथियों की
मूर्तियां ढकने से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है.
गौरतलब है कि शनिवार को देश के मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने उत्तर प्रदेश
में चुनाव तक बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो और राज्य की मुख्यमंत्री मायावती और उनकी
पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की तमाम मूर्तियों को ढकने का आदेश दिया है. चुनाव आयोग
का तर्क है कि पार्कों में लगी मूर्तियां और पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी प्रचार का
एक तरीका है. चुनाव आयोग के अनुसार ये मूर्तियां चुनाव तक ढकी रहेंगी.
मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी का कहना था कि हाथी बहुजन समाज पार्टी का चुनाव
निशान है और मुख्यमंत्री मायावती की प्रतिमा से राजनीतिक संदेश जाता है, इसलिए इन
दोनों का ढका जाना जरुरी है. हालांकि दूसरी प्रतिमाओं के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि
महात्मा गांधी को छोड़कर दूसरी तमाम प्रतिमाओं को लेकर समीक्षा की जाएगी.
गौरतलब है लखनऊ में मायावती की डेढ़ करोड़ रुपये की लागत वाली 24 फीट की मूर्ति
प्रतिबिंब स्थल में, वहीं की गैलरी में 47.25 लाख रुपये की लागत से 18 फीट ऊंची
कांस्य प्रतिमा, परिवर्तन स्थल में ही 20.25 लाख रुपये की लागत से 12 फीट ऊंची
कांस्य प्रतिमा, नौ लाख की लागत वाली सात फीट उंची प्रतीमा, मान्यवर कांशीराम
स्मारक स्थल पर 47 लाख की लागत वाली 18 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा, डॉ. बी आर
अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल पर पौन करोड़ की लागत वाली तीन प्रतिमायें, कानपुर
रोड योजना में 47.25 लाख रुपये की लागत से 15 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा लगी हुई हैं.
राज्य के अलग-अलग इलाकों में मायावती की मूर्तियों की संख्या हजारों में है.
इसके बाद से ही राज्य भर में मायावती और हाथियों की मूर्तियों को ढंकने का काम शुरु
किया गया है और 11 जनवरी इसके लिये अंतिम तारीख तय की गई है. हालांकि इतनी जल्दी
में सारी मूर्तियों को ढ़ंके जाने को लेकर परेशानियां बताई गई हैं.