भारतीय दवा कंपनी रैनबैक्सी का दायची द्वारा अधिग्रहण
भारतीय दवा कंपनी रैनबैक्सी का दायची
द्वारा अधिग्रहण
मुंबई. 07 नवंबर 2008
जापान की बड़ी दवा निर्माता कंपनी दाइची ने भारत की अग्रणी दवा कंपनी रैनबैक्सी के
60 प्रतिशत शेयर ख़रीद कर उसका अधिग्रहण कर लिया है. इस सौदे के लिए उसे चार अरब
अमरीकी डॉलर की रकम चुकानी पड़ी.
किसी विदेशी कंपनी का भारतीय कंपनियों में एक बड़ा हिस्सा ख़रीदकर अपना प्रभाव
क़ायम करने का यह अबतक का दूसरा बड़ा मामला बताया जा रहा है. इससे पहले पिछले वर्ष
टेलीकॉम सेक्टर में भारतीय कंपनी हच को 11 अरब अमरीकी डॉलर चुका कर वोडाफोन द्वारा
अधिग्रहित कर लिया गया था.
रैनबैक्सी-दायची सौदे की घोषणा इस वर्ष की शुरुआत में ही हो गई थी पर कई औपचारिकताएं
बाकी थीं. दाइची ने कहा है कि उसने रैनबैक्सी के अधिग्रहण का कार्यक्रम पूरा कर लिया
है.
ग़ौरतलब है कि सितंबर में अमरीका ने रैनबैक्सी की 30 दवाओं के आयात पर यह कहते हुए
रोक लगा दी थी कि वे दवा तैयार करने के मानकों पर खरी नहीं उतरती हैं. इससे
रैन्बैक्सी को बड़ा झटका लगा था और रैन्बैक्सी के शेयर इस प्रतिबंध के बाद तेज़ी से
नीचे आए थे.
अब दाइची ने रैनबैक्सी के 60 प्रतिशत शेयरों का मालिकाना हासिल कर लिया है और
रैनबैक्सी हाल के दिनों में विदेशी कंपनियों के हाथ जाने वाली दूसरी भारतीय कंपनी
बन गई है.
रैनबैक्सी को खरीदने का सीधा लाभ जापानी कंपनी को मिलेगा. रैनबैक्सी जेनेरिक दवाओं
के क्षेत्र में जाना माना नाम है और इस अधिग्रहण के द्वारा दायची तैयार जेनेरिक
दवाओं के देशी और विदेशी बाज़ार पर काबिज हो सकेगा.