बलात्कार करने वालों को फांसी
बलात्कार करने वालों को फांसी
पुणे. 21 मार्च 2012
पुणे की एक अदालत ने एक महिला के साथ सामुहिक बलात्कार और उसके बाद उसकी हत्या के
दो आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है. अदालत ने माना है कि इस तरह की वारदात के
बाद अगर अपराधियों पर रहम किया गया तो उसका समाज पर नकारात्मक असर पड़ेगा.
देश के बहुचर्चित सरकारी अधिवक्ता उज्जवल निकम के अनुसार 1 नवंबर 2007 को पुणे के
पुरुषोत्तम बोराटे और प्रदीप कोकाटे ने एक मल्टीनेशनल कंपनी वीप्रो के कॉल सेंटर
में काम करने वाली महिला के साथ बलात्कार किया था और उसके बाद उसकी हत्या कर दी थी.
अभियुक्त पुरुषोत्तम बोराटे कॉल सेंटर के लोगों को टैक्सी में लाने ले जाने का काम
करता था. जबकि प्रदीप कोकाटे उसका दोस्त था. इन दोनों ने अपराध को छुपाने की नियत
से महिला के सर को भी कुचल दिया था. यहां तक कि पुरुषोत्तम बोराटे महिला की हत्या
के कुछ ही देर बाद फिर से काम पर आ गया था, जिससे किसी को शक न हो.
इस मामले में एक भी चश्मदीद गवाह नहीं था. लेकिन पुलिस ने इस मामले की बहुत गहराई
से जांच की और अपना सारा ध्यान सबूत एकत्र करने पर लगाया. 29 गवाहों से पूछताछ और
कई सबूत एकत्र करने के बाद पुलिस ने इन दोनों अपराधियों को इस मामले में गिरफ्तार
किया.
गौरतलब है कि इस महीने की पहली तारीख को नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार और
फिर हत्या करने वाले विनय बाग्दी को पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले की अदालत ने
फांसी की सजा सुनायी थी.इसी साल जनवरी में मध्यप्रदेश के मंडला में ही ग्राम कुडवन
की एक महिला के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या के मामले में अदालत ने दिलीप,
शैलेष, मनीष एवं कुलदीप नामक युवकों को फांसी की सजा सुनाई गई थी.