लादेन को नहीं मारना चाहते थे ओबामा
लादेन को नहीं मारना चाहते थे ओबामा
न्यूयार्क. 22 अगस्त 2012
अलकायदा के नेता ओसामा
बिन लादेन को मारने से लगभग 5 महीने पहले ही पाकिस्तान को इस अभियान की जानकारी दे
दी गई थी. कम से कम तीन ऐसे अवसर आये, जब अमरीकी सेना ने लादेन को मारने के लिये
अभियान शुरु किया और अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऐसा करने की अनुमति नहीं दी.
इसके अलावा लादेन को मारने में अमरीकी सेना से कहीं बड़ा योगदान पाकिस्तान की
खुफिया एजेंसी आईएसआई ने निभाया था.
ये तमाम दावे दि वॉल स्ट्रीट जर्नल और द वॉशिंगटन पोस्ट के पूर्व संवाददाता रिच
मिनिटर ने अपनी नई किताब में किया है. मंगलवार को बाज़ार में आई इस किताब ‘लीडिंग
फ्रॉम बिहाइंड द रिलक्टेंट प्रेसिडेंट एंड द एडवाइजर्स हू डिसाइड फॉर हिम’ में
मिनिटर ने कहा है कि अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लादेन को मार गिराने का
निर्णायक आदेश देने से पहले तीन बार ऐसा आदेश देने से इंकार कर दिया था. जनवरी,
फरवरी और मार्च 2011 में लादेन को मारने के मिशन को ओबामा ने अनुमति नहीं दी. लेकिन
बाद में हिलेरी क्लिंटन ने ओबामा को समझाया तब कहीं जा कर ओबामा लादेन को मारने के
मिशन के लिये तैयार हुये.
इस किताब में कहा गया है कि लादेन का पता लगाने में पाकिस्तान की संभवत: खुफिया
एजेंसी आईएसआई के एक कर्नल ने उस वक्त बड़ी मदद की जब वह अगस्त 2010 में सीआईए के
इस्लामाबाद स्टेशन में गया था. ऐसा संभव है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख को लादेन
के खात्मे के लिए शुरू किए गए अभियान से तकरीबन पांच महीने पहले दिसंबर 2010 में ही
इसके बारे में बता दिया गया हो.
रिच मिनिटर ने अपनी किताब में कहा है कि ऐसे संकेत हैं कि पाकिस्तानी सेना के साथ
एक कवर स्टोरी विकसित की गयी और मिशन के लिए ओबामा को उनकी मौन सहमति मिली हुई थी.
इस बात का जिक्र कभी नहीं हुआ कि ओबामा की टीम ने जितना कबूल किया, उससे कहीं
ज्यादा योगदान पाकिस्तान की टीम ने इस अभियान में किया. जब सीआईए ने खुलासा किया कि
आईएसआई के एक कर्नल ने इस्लामाबाद में सीआईए से संपर्क साधा है और ओसामा के बारे
में सूचना देने की पेशकश की है तो इस पर बहस शुरू हुई.