फिगर देखती हैं लड़कियां-मोदी
फिगर देखती हैं लड़कियां-मोदी
नई दिल्ली. 30 अगस्त 2012
गुजरात के मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी द्वारा लड़कियों के खिलाफ की गई एक टिप्पणी को लेकर विवाद शुरु हो गया
है. अमरीकन अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिये गये साक्षात्कार में मोदी ने कहा था कि
गुजरात के मध्यवर्ग की लड़कियों को अपनी फिगर की चिंता अधिक है. वे अपनी सेहत की
फिक्र नहीं करतीं. उनके इस बयान को लेकर विपक्ष ने कहा है कि नरेंद्र मोदी का यह
बयान शर्मनाक है.
गौरतलब है कि एक सर्वे के मुताबिक गुजरात में लगभग 41 फीसदी बच्चों का वजन जरूरत से
कम है. 5 साल से कम उम्र में मरने वाले 6 फीसदी बच्चे भूख से मरते हैं तो 22 फीसदी
आबादी को पर्याप्त भोजन ही नहीं हासिल है. 15 से 45 के उमर की 55 फीसदी महिलाएं खून
की कमी से जूझ रही हैं. यहां तक कि भुखमरी के मामले में भी गुजरात देश के दूसरे
राज्यों ओड़ीसा, उत्तरप्रदेश, बंगाल और असम से कहीं आगे है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा गुजरात में कुपोषण की समस्या को लेकर पूछे गये एक सवाल के
जवाब में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि गुजरात मोटे तौर पर शाकाहारी और एक मध्य वर्गीय
राज्य है. मध्य वर्ग को सेहत से ज़्यादा सुंदरता की फिक्र होती है-यही चुनौती है.
उन्होंने अपने साक्षात्कार में कहा कि अगर मां अपनी बेटी से कहती है कि दूध पियो,
तो इसे लेकर दोनों में झगड़ा होता है. बेटी अपनी मां से कहती है, मैं दूध नहीं
पिऊंगी क्योंकि मैं मोटी हो जाऊंगी.
इसके अलावा नरेंद्र मोदी ने गुजरात के दंगों को लेकर भी सफाई दी और कहा कि माफी तभी
मांगी जाती है जब कोई अपराध किया गया हो. इंटरव्यू के जरिए अपनी छवि सुधारने की
कोशिश के आरोप में नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर मैं अपनी छवि सुधारना चाहता तो बीते
10 सालों में ऐसे 10 हजार इंटरव्यू दे चुका होता. मैंने कोई गलती नहीं की है कि
मुझे अपनी छवि सुधारनी पड़े. मैं जो हूं, वह पूरी दुनिया के सामने है.
अब मोदी के इस साक्षात्कार को लेकर विवाद शुरु हो गया है. केंद्रीय सूचना एवं
प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने मोदी के बयान की आलोचना करते हुए कहा है कि महिलाएं
परिवार का पेट भरने के लिए खुद भूखी रहती हैं. यह किसी प्रशासक का बेहद
गैरजिम्मेदाराना बयान है. मुझे उम्मीद है कि गुजरात की महिलाएं इसका विरोध करेंगी.
कांग्रेस के ही जगदंबिका पाल ने कहा कि लोगों को खाने को नहीं मिल रहा है और मोदी
ऐसे बयान दे रहे हैं.