मुनीम नहीं है सीएजी-सुप्रीम कोर्ट
मुनीम नहीं है सीएजी-सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली. 1 अक्टूबर 2012
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है
कि सीएजी कोई मुनीम नहीं है. वह एक संवैधानिक संस्था है, जिसका सम्मान किया जाना
चाहिये. अदालत ने कहा कि सीएजी को अर्थव्यवस्था से जुड़े पहलुओं पर मूल्यांकन करने
का अधिकार है और सीएजी ने वही कोशिश की है.
कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़ी सीएजी की रिपोर्ट के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई
करते हुये जस्टिस आरएम लोढ़ा और जस्टिस आरए दवे की खंडपीठ ने कहा कि सीएजी कोई
मुनीम नहीं है, बल्कि ये एक संवैधानिक संस्था है जो राजस्व आवंटन और अर्थव्यवस्था
से जुड़े मामलों का हिसाब किताब कर सकती है.
अदालत ने कहा कि सीएजी एक संवैधानिक संस्था है, जो अपनी रिपोर्ट संसद या राज्य
विधानसभाओं के पटल पर रखता है, इसलिए उसकी रिपोर्ट पर उन्हें ही कोई कदम उठाने का
हक है. सीएजी की रिपोर्ट को स्वीकार करना या खारिज करना संसद का काम है.
गौरतलब है कि सीएजी ने कोयला घोटाले पर कहा था कि सरकार द्वारा कोल ब्लॉकों की
प्रतिस्पर्धी तरीके से नीलामी न कराने की वजह से प्राइवेट कंपनियों को 1 लाख 85
हजार 591 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ और सरकार को इतने का ही नुकसान हुआ. कैग की
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने जिस तरह से कोल ब्लॉकों को बांटा है, अगर उसके
बजाये इन कोल ब्लॉकों की नीलामी की जाती तो सरकार को लगभग 1.86 लाख करोड़ रुपये का
ज्यादा राजस्व प्राप्त होता. कैग ने अपनी रिपोर्ट में सरकार द्वारा एस्सार, टाटा
स्टील, टाटा पावर, भूषण स्टील, जिंदल स्टील ऐंड पावर, हिंडाल्को समेत 25 घरानों को
लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है.
सीएजी की इस रिपोर्ट के खिलाफ जनहित याचिका दायर करते हुये कोयला ब्लॉक आवंटन से
जुड़ी सीएजी की रिपोर्ट और उसके आकंड़ों को चुनौती दी गई थी.