इलाहाबाद भगदड़ में प्रशासन से नाराजगी
इलाहाबाद भगदड़ में प्रशासन से नाराजगी
इलाहाबाद. 11 फरवरी 2013 बीबीसी
इलाहाबाद में भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजन बेहद नाराज़ हैं क्योंकि प्रशासन
मृतकों के शवों को ले जाने के लिए एबुंलेंस तक मुहैय्या नहीं करा रहा है.
इलाहाबाद के स्वरुप रानी मेडिकल कॉलेज में मृतकों के परिजन आए हुए हैं और
पोस्टमार्टम के बाद शवों को ले जा रहे हैं. परिजन खुद ही कफन लेकर आए हैं और
गाड़ियों की व्यवस्था भी खुद ही कर रहे हैं. लोगों में इस बात को लेकर बहुत गुस्सा
है.
अभी तक कोई आला अधिकारी भगदड़ की घटना के बाद इलाहाबाद नहीं पहुंचा है. इतना ही
नहीं सरकार को कोई मंत्री भी यहां नहीं आया है. कुंभ मेला के आयुक्त देवेश
चतुर्वेदी जब अस्पताल में पहुंचे तो लोगों ने उनके खिलाफ़ नारेबाज़ी की और उनके साथ
दुर्व्यवहार भी किया है.
हालात ये हैं कि पोस्टमार्टम के बाद मृतकों के परिजन शवों को लेकर बैठे हुए हैं कि
उन्हें कोई गाड़ी मिले ताकि वो अंतिम संस्कार के लिए लाश ले जा सकें. इससे पहले रेल
मंत्री पवन कुमार बंसल ने इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के कारण के तौर पर
फुट ओवर ब्रिज के किनारे टूटने की बात से इनकार किया है.
उन्होंने कहा,"मेरी जानकारी में रेलवे फुट ओवर ब्रिज के किनारे नहीं टूटे हैं...
हमारी कोशिश है कि लोगों को शहर से वापस निकालने का इंतजाम किया जाए और हम इसके लिए
इलाहाबाद से स्पेशल रेलगाड़ियों की सेवाएं शुरू कर रहे हैं." इससे पहले यह कहा जा
रहा था कि प्लेटफॉर्म नंबर छह के पास फुट ओवर ब्रिज के किनारे टूट गए थे.
और इसी वजह से कुंभ स्नान करके घर वापस लौट रहे श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ मची थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने रेल मंत्री के हवाले से कहा है कि इलाहाबाद रेलवे स्टेशन
पर भीड़ भाड़ खत्म करने की कोशिश की जा रही है. रेल मंत्री ने कहा है कि मृतकों के
परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा प्रधानमंत्री कार्यालय से की जा रही है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुई दुर्घटना की जांच के आदेश दिए
हैं और मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपए मुआवजे की भी घोषणा की है. लेकिन इस बीच
केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. केंद्र
सरकार ने जहां इस हादसे के लिए राज्य सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया वहीं आज़म ख़ान ने
इसके लिए केंद्र सरकार ख़ासकर रेल मंत्रालय को ज़िम्मेदार क़रार दिया.
उत्तर प्रदेश सरकार ने घटना की जांच का आदेश दिया है और घटना के लिए केंद्र सरकार
को जिम्मेदार बताया है. हालांकि केंद्र सरकार ने इसके लिए राज्य सरकार पर आरोप मढ़ा
है.
इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 36 लोगों के मारे जाने और 30 से ज्यादा
लोगों के घायल होने का कारण राज्य पुलिस और रेलवे पुलिस के बीच तालमेल की कमी को
बताया जा रहा है. घटना स्थल पर मौजूद बीबीसी संवाददाताओं ने बताया कि मौनी अमावस्या
के दिन महाकुंभ में लगभग 3 करोड़ लोगों ने स्नान किया था और जब यह भीड़ वापस लौटने
के लिए स्टेशन की तरफ बढ़ने लगी तो स्टेशन पर भीड़ के नियंत्रण का पूरा इंतजाम नहीं
था.
बीबीसी संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी के ने बताया कि कुंभ स्नान करके मेला स्थल से
निकले लोगों के लिए शहर में ठीक से व्यवस्था नहीं की गई थी और बड़ी तादाद में लोगों
को स्टेशन पहुंचने की इजाजत देने की गलती की गई. इलाहाबाद के स्वरूप रानी अस्पताल
में मृतकों के शव रखे गए हैं जिनमें 19 की पहचान कर ली गई है. इस भगदड़ में 30 से
ज़्यादा लोग घायल भी हुए हैं.
इलाहाबाद में रेलवे के प्रवक्ता अमित मालवीय के अनुसार मारे जाने वालों में
ज़्यादातर लोग उत्तरप्रदेश, दिल्ली, मध्यप्रदेश, बिहार, और महाराष्ट्र के रहने वाले
हैं. घटनास्थल पर मौजूद बीबीसी संवाददाताओं ने बताया कि बदइंतजामी की वजह से मृतकों
के परिजनों में भारी रोष का माहौल है.
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री आज़म ख़ान ने कहा,"ट्रेनें सुचारू रूप से चल रही हैं
और यात्रियों या कुंभ में आए श्रद्धालुओं को परेशान होने की ज़रूरत नहीं है."
उन्होंने श्रद्धालुओं से संयम बरतने की अपील की. बीबीसी संवाददाता मुकेश शर्मा के
अनुसार यह हादसा इलाहाबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म नंबर छह पर उस वक़्त हुआ जब
हज़ारों की संख्या में कुंभ में अमावस्या के मौक़े पर स्नान करके लौट रहे श्रद्धालु
स्टेशन पर जमा थे. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक़ प्लेटफ़ॉर्म संख्या छह की ओर जाने
वाली सीढ़ियों पर अचानक भगदड़ मच गई. हालांकि पहले ख़बर आ रही थी कि फुटओवर ब्रिज
की रेलिंग टूटने से ये हादसा हुआ.
इस हादसे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए रामदत्त त्रिपाठी का कहना है कि सुबह शाही
स्नान के समय पर हुई अव्यवस्था के बाद से ही मार्क टुली समेत कई समीक्षक कह रहे थे
कि इस बार के कुंभ में भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस की व्यवस्था चुस्त नही है. शाही
स्नान का जो घाट अखाड़ों के नागा साधुओं के लिए आरक्षित था, वहाँ भारी भीड़ जमा हो गई
थी, जिसे घुड़सवार पुलिस की मदद से बड़ी मुश्किल से ख़ाली कराया जा सका. यातायात
नियंत्रण की तमाम योजना के बावजूद एक साथ इतनी भारी भीड़ घाटों पर आने देने का कोई
औचित्य नही था.