आईवीएफ के जनक डॉ. एडवर्ड्स का निधन
टेस्ट ट्यूब तकनीक के जनक डॉ. एडवर्ड्स का निधन
लंदन. 11 अप्रैल 2013. बीबीसी
परखनली शिशु यानी आईवीएफ तकनीक विकसित करके लाखों लोगों की जिंदगी में
खुशियां लाने वाले प्रोफेसर सर रॉबर्ट एडवर्ड्स का निधन हो गया है. वो 87 साल के
थे. दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी लुईस ब्राउन ने एडवर्ड्स को श्रदांजलि देते
हुए कहा, “मैंने हमेशा रॉबर्ट एडवर्ड्स को अपने दादा की तरह माना. उन्होंने जो काम
किया उससे दुनियाभर में लाखों लोगों की जिंदगी में खुशियां आईं.”
उन्होंने कहा, “मुझे इस बात की खुशी है कि वो इतने लंबे समय तक हमारे बीच रहे कि
अपने काम को नोबेल की मान्यता मिलते देख सके. दुनियाभर में आईवीएफ पर हो रहे काम के
साथ उनकी विरासत आगे बढ़ती रहेगी.”
प्रोफेसर एडवर्ड्स के ही प्रयासों से 1978 में ओल्डहैम जनरल हॉस्पिटल में 1978 में
लुईस ब्राउन का जन्म हुआ था. प्रोफेसर एडवर्ड्स को 2010 में नोबेल और 2011 में
नाइटहुड से सम्मानित किया गया था. आज़ आईवीएफ का दुनियाभर में इस्तेमाल हो रहा है
और इस तकनीक से 50 लाख से अधिक बच्चों का जन्म हो चुका है.
प्रोफेसर एडवर्ड्स कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में फेलो थे. विश्वविद्यालय ने कहा कि
प्रोफेसर एडवर्ड्स के काम ने क्रांतिकारी बदलाव लाने का काम किया है. वर्ष 1925 में
यॉर्कशायर के एक कामकाजी परिवार में जन्मे प्रोफेसर एडवर्ड्स द्वितीय विश्व युद्ध
के दौरान ब्रितानी सेना से जुड़े रहे. वतन वापसी के बाद उन्होंने पहले कृषि विज्ञान
की पढ़ाई की और फिर आनुवांशिकी विज्ञान का रुख़ किया.
पहले किए गए शोध में इस बात की पुष्टि की जा चुकी थी कि मादा खरगोश के क्लिक करें
अंडे को नर खरगोश के शुक्राणुओं से परखनली में निषेचित किया जा सकता है. प्रोफेसर
एडवर्ड्स ने इस तकनीक को इंसानों पर आजमाया. साल 1968 में कैम्ब्रिज में एक
प्रयोगशाला में उन्होंने पहली बार गर्भ के बाहर एक मानव भ्रूण को विकसित किया.
हालांकि 1978 में इस तकनीक के इस्तेमाल को लेकर व्यापक नैतिक बहस छिड़ी थी
प्रोफेसर एडवर्ड्स ने उस क्षण को याद करते हुए कहा था, “मैं उस दिन को कभी नहीं
भुला सकता जब मैंने सूक्ष्मदर्शीं में देखा और पाया कि एक मानव ब्लास्टोसिस्ट
(निषेचन के तुरंत बाद की स्थिति) मुझे घूर रहा है. मेरे मुंह से अनायास ही निकल
पड़ा ‘हम अपने काम में सफल रहे.”
बीमारी और कमजोरी के कारण प्रोफेसर एडवर्ड्स 2010 में नोबेल पुरस्कार ग्रहण करने
स्टॉकहोम नहीं जा सके और उनकी तरफ से उनकी पत्नी रूथ ने ये सम्मान हासिल किया.