मोदी की जगह जेल: वंजारा
मोदी की जगह जेल: वंजारा
अहमदाबाद. 3 सितंबर 2013
गुजरात में हुए सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में जेल में बंद गुजरात के
पूर्व डीआईजी डी.जी.वंजारा की एक चिठ्ठी ने सियासी भूचाल ला दिया है. इस्तीफे को
लेकर गुजरात सरकार को लिखी दस पन्नों की एक चिठ्ठी में वंजारा ने मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी और राज्य के पूर्व गृह मंत्री अमित शाह पर जमकर निशाना साधा है.
उन्होंने तीखे शब्दों में लिखा है कि मोदी सरकार की जगह गांधीनगर नहीं जेल है.
कभी नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले वाजारा ने अब अपनी चिठ्ठी के जरिए मोदी
पर अपने राजनीतिक फायदे के लिए पुलिस अधिकारियों का इस्तेमाल करने और फिर जरूरत
पूरी हो जाने के बाद उनसे किनारा करने का आरोप लगाया है. वे लिखते हैं, 'पिछले 12
साल से एनकाउंटर के केस को जिंदा रखकर मोदी सरकार राजनीतिक रोटियां सेक रही हैं,
लेकिन जेल में पड़े पुलिस अधिकारी की उन्हें कोई सुध नहीं है'.
वंजारा ने लिखा है कि मोदी ने अपने करीबी अमित शाह के मामले में फंसने के बाद तो
राम जेठमलानी जैसा कद्दावर वकील रखा लेकिन उन्हें और बाकी पुलिस अफसरों को अपने हाल
पर छोड़ दिया और सिर्फ जुबानी जमाखर्च से ही काम चला लिया. चिठ्ठी में उन्होंने यह
भी लिखा है कि कथित फर्जी मुठभेड़ों में शामिल पुलिस अधिकारियों ने सरकार की ‘सोची
समझी नीति’ का ही कार्यान्वयन किया है.
वंजारा ने मोदी को दिल्ली कूच कर भारत माता का कर्ज चुकाने से पहले जेल में बंद
पुलिस अफसरों के कर्ज चुकाने की बात भी की है. साथ ही उन्होंने मोदी के बारे में
अपने मोहभंग की बात कहते हुए लिखा है कि 'मैं मोदी को भगवान मानता था लेकिन मुझे
अफ़सोस है कि मेरा भगवान मौक़े पर खड़ा नहीं हुआ. उन पर अमित शाह का बुरा प्रभाव है जो
उनकी आंख और कान बने हुए हैं'
1987 बैच के आईपीएस अधिकारी वंजारा की चिठ्ठी ऐसे समय आई है जब मंगलवार को ही
कांग्रेस ने सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ से जुड़े एक अन्य मुठभेड़ की जाँच
प्रक्रिया को प्रभावित करने की बात कह कर मोदी का इस्तीफा मांगा है. ऐसे में यह
स्पष्ट है कि वंजारा की चिठ्ठी से मोदी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं.