देवदासी प्रथा रोके कर्नाटक: सुप्रीम कोर्ट
देवदासी प्रथा रोके कर्नाटक:
सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली. 13 फरवरी 2013
सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह इस बात को
सुनिश्चित करंर कि किसी भी मंदिर में गुरुवार रात या शुक्रवार को किसी भी लड़की का
उपयोग देवदासी के रूप में नहीं हो.
मुख्य न्यायाधीश पी. सदाशिवम, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति रंजन
गोगोई की पीठ ने अधिकारियों को 14 फरवरी की सुबह होने वाले कार्यक्रम में सभी
ऐतिहाती कदम उठाने के निर्देश दिया, जहां लड़कियों को मंदिर (उत्तांगी मला दुर्गा
मंदिर) में देवदासी के रूप में अर्पित किया जाता है.
अदालत ने कहा, "हम मुख्य सचिव को यह भी निर्देश देते हैं कि वह यह सुनिश्चित करें
कि 13 या 14 फरवरी को ऐसी कोई घटना नहीं हो."
अदालत ने केंद्र, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु सरकारों को नोटिस
भेजकर अधिकतम चार सप्ताह में जवाब मांगा.
याचिकाकर्ता एस.एल. फाउंडेशन ने अदालत से मांग की थी कि 13 फरवरी को राज्य के
देवनगर जिले में उत्तांगी मला दुर्गा मंदिर में होने वाले इस कार्यक्रम पर रोक
लगाने के लिए केंद्र और कर्नाटक सरकार को निर्देश दे, क्योंकि यह संविधान के
प्रावधान के विरुद्ध है.