महिला आरक्षण बिल पर राज्यसभा में हंगामा
महिला आरक्षण बिल पर राज्यसभा में हंगामा
नई दिल्ली. 08 मार्च
2010
सोमवार को महिला आरक्षण बिल के मुद्दे पर संसद में जमकर हंगामा हुआ और विधेयक पेश
होने के बाद भी उस पर बहस नहीं हो सकी. वहीं विधेयक का विरोध कर रही समाजवादी
पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार से समर्थन
वापस लेने की घोषणा की है. दोनों पार्टियां सरकार को बाहर से समर्थन दे रही हैं.
समाजवादी पार्टी के लोकसभा में 21 और आरजेडी के 4 सदस्य हैं.
महिला आरक्षण विधेयक 14 साल पहले 1996 में पहली बीर संसद में पेश किया गया था. तब
से लगातार असहमतियों के कारण इसे पारित नहीं जा सका था. 545 सांसदों वाली लोकसभा
में फ़िलहाल 59 महिला सांसद हैं जबकि 248 सांसदों वाली राज्यसभा में 21 महिलाएं
हैं.
महिला दिवस के दिन उम्मीद जताई जा रही थी कि इस पर कोई आम राय बन पाएगी. लेकिन
सोमवार को राजग, बसपा और समाजवादी पार्टी के भारी विरोधों के बीच मामला आगे नहीं
बढ़ पाया. राज्यसभा में नाराज़ सांसदों ने सभापति हामिद अंसारी के आसन तक पहुँच कर
नारेबाज़ी की और विधेयक की प्रतियाँ फाड़ डाली. विरोध कर रहे सांसदों ने
उपराष्ट्रपति के हाथों से फ़ाइल छीनने की भी कोशिश की. भारी हंगामे के बाद राज्यसभा
की कार्रवाई अगले दिन तक के लिये स्थगित कर दी गई.
संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण का विरोध कर रही पार्टियों का तर्क है कि इससे सवर्ण
महिलायें आगे आ जाएंगी और पिछड़ी, गरीब महिलायें और मुसलमान और हाशिये पर चले
जायेंगे. महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करते हुए राजद नेता लालू यादव ने कहा, "यह
राजनीतिक डकैती है और हम इसे सहन नहीं कर सकते. हम सरकार से समर्थन वापस ले रहे
हैं."
सपा नेता मुलायम सिंह यादव का कहना था, " हम चाहते हैं कि पिछड़े वर्ग और
अल्पसंख्यकों को भी इसका फ़ायदा मिला."
| इस समाचार / लेख पर पाठकों की प्रतिक्रियाएँ | |
| sanjay pathak raipur | |
| हमें सिर्फ घरेलू महिलाओं तक ही अपनी सोच सीमित नहीं रखनी चाहिए,इससे आगे समाज की उन पढ़ी लिखी महिलाओं को मिलने वाले अवसरों के बारे में भी सोचना चाहिए जो संसद तक पहुंचकर संपूर्ण महिलाओं के हितों के बारे में सोच पाएंगी। इस बिल को समग्रता और खुली मानसिकता से देखने की आवश्यकता है।पुरष प्रधान समाज की विचारधारा के पुरोधा और परिवारवाद की राजनीति को बढ़ावा देने वाले यह देखने का प्रयास ही नहीं करना चाहते।अगर ऐसा नहीं है तो संसद में लालू,मुलायम और शरद यादव क्यों बवाल मचाते नजर आते हैं। | |
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