लगातार हो रहे हैं फोन टेप- अडवाणी
लगातार हो रहे हैं फोन टेप- अडवाणी
नई दिल्ली. 25 अप्रैल 2010
भाजपा नेता लालकृष्ण अडवाणी ने कहा है कि देश में फोन टेपिंग की घटना आपातकाल की
याद दिलाती है. अपने ब्लॉग में लालकृष्ण अडवाणी ने कहा है यह एक हिला देने वाली
रिपोर्ट है, जिसमें खुलासा किया गया है कि भारत सरकार कैसे नवीनतम फोन टेपिंग तकनीक
का इस्तेमाल प्रमुख राजनीतिक नेताओं के बीच की टेलीफोनिक बातचीत को रिकार्ड करने
में कर रही है.
अडवाणी ने नागरिकों की निजता की संरक्षा के लिए एक नया कानून बनाए जाने की वकालत
करते हुए कहा कि समस्या की सभी पहलुओं से पड़ताल करने, बेकार हो चुके भारतीय टेलीफोन
अधिनियम 1885 को समाप्त करने तथा आम नागरिक की निजता की सुरक्षा के लिए इसके स्थान
पर नया कानून बनाने के लिए ब्रिटेन में ब्रिकेट समिति की तर्ज पर एक संसदीय समिति
गठित की जाए.
भाजपा नेता ने कहा है कि नया कानून ऐसा हो जो आम नागरिकों की निजता की सुरक्षा करे
लेकिन जो औपचारिक रूप से केवल अपराध, घोटाले तथा जासूसी के मामलों में ही राज्य को
नवीनतम आईटी तकनीक के इस्तेमाल को मान्यता दे. इस कानून में सांविधिक सुरक्षा मानक
अवश्य हों, जो सरकार के लिए राजनीतिक कार्यकर्ताओं तथा मीडियाकर्मियों के खिलाफ इस
कानून की शक्तियों का दुरुपयोग असंभव बना दें.
अपने जीवन की एक पुरानी घटना का उल्लेख करते हुये लालकृष्ण अडवाणी ने कहा कि 1985
की एक सुबह एक अजनबी मेरे घर पर आया जिसके हाथ में कागजों से भरा एक ब्रीफकेस था.
उस अजनबी ने कहा कि इस ब्रीफकेस में डायनामाइट है, जो इस सरकार को उड़ा सकता है.
उसने अपना ब्रीफकेस खोला और करीब 200 पन्नों का ढेर लगा दिया जिनमें कई अति विशिष्ट
हस्तियों की टेलीफोन बातचीत का रिकार्ड दर्ज था.
अडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि मुझे ये दस्तावेज इतने विस्फोटक नहीं लगे,
जितना उन सज्जन ने बताया था. इनमें से कुछ कागजों में मेरी अटल बिहारी वाजपेयी से
हुई बातचीत का ब्यौरा था. अधिक हैरानी यह जानकार हुई कि इन दस्तावेजों में न केवल
विपक्षी नेताओं की आपसी बातचीत को टेप रिकार्ड किया गया था बल्कि कुछ ख्यातिनाम
पत्रकार और ज्ञानी जैल सिंह जैसी बेहद प्रतिष्ठित हस्तियों की बातचीत भी रिकार्ड
थी.
लालकृष्ण अडवाणी ने 25 जून 1985 के एक संवाददाता सम्मेलन को याद करते हुए ब्लॉग में
लिखा है कि आपातकाल की दसवीं वर्षगांठ पर आयोजित उस संवाददाता सम्मेलन में वाजपेयी
ने कहा कि मुझे लंबे समय से पता है कि मेरे तथा मेरे पार्टी सहयोगी आडवाणी के फोन
पर नजर रखी जा रही है. वाजपेयी ने कहा- लेकिन बाद में मुझे पता चला कि चौधरी चरण
सिंह, जगजीवनराम और चंद्रशेखर जैसे वरिष्ठ नेताओं, जीके रेड्डी, अरुण शौरी, कुलदीप
नायर तथा जीएस चावला जैसे पत्रकारों के फोन भी नियमित रूप से टेप किए जा रहे हैं.
लेकिन इससे भी अधिक सदमा मुझे यह जानकार लगा कि खुफिया ब्यूरो ने राष्ट्रपति और
प्रधान न्यायाधीश तक के फोन टेप किए हैं. यह सब न केवल राजनीतिक रूप से अनैतिक है
बल्कि असंवैधानिक और गैरकानूनी भी है.