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श्री श्री रविशंकर के खिलाफ अर्जी दाखिल होगी
नई दिल्ली. 6 मई 2016
यमुना
किनारे विश्व सांस्कृतिक सम्मेलन के आयोजन के दौरान पर्यावरण को पहुंचे नुकसान के
लिए लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं करने के मामले में श्री श्री रविशंकर के खिलाफ
अवमानना मामला दायर करने की अर्जी दी गई है.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) द्वारा श्री श्री रविशंकर की
संस्था आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन (एओएल) पर लगाए गए जुर्माने को फाउंडेशन ने अब तक
नहीं चुकाया है.
न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता में एनजीटी की प्रधान पीठ इस मामले की
सुनवाई 10 मई को करेगी.
गुरुवार को पर्यावरणविद् मनोज मिश्रा की ओर से वकील संजय पारिख ने एनजीटी में अर्जी
दायर की. मिश्रा ने पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में एओएल के खिलाफ
एनजीटी में मामला दायर किया था.
पारिख ने अपनी अर्जी में कहा, "यह अर्जी न्यायाधिकरण का ध्यान इस तथ्य की ओर आकृष्ट
करने के लिए दायर की गई है कि आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री श्री
रविशंकर ने किस तरह न्यायाधिकरण के आदेश पर सार्वजनिक रूप से छींटाकशी कर इसके
प्रति अवमानना दर्शाई है."
उन्होंने कहा कि श्री श्री के बयान न्यायिक प्रक्रिया में दखलंदाजी के समान हैं और
न्यायाधिकरण के प्राधिकार का महत्व कम करने वाले हैं.
पारिख ने मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा कि एओएल पर्यावरण क्षतिपूर्ति की बकाया
राशि 4 करोड़ 75 लाख चुकाने में देर कर रहा है. हकीकत यह है कि एओएल के संस्थापक
(श्री श्री) की पूरी संपत्ति 234 करोड़ आंकी गई है. हाल ही में अमेरिका, ब्रिटेन और
नीदरलैंड से ही फाउंडेशन को 81 करोड़ रुपये मिले हैं.
एओएल द्वारा यमुना किनारे विश्व सांस्कृतिक उत्सव के आयोजन ने नदी के खादर क्षेत्र
की पारिस्थितिकीय को बड़े पैमाने पर क्षति पहुंची थी. इस पर एनजीटी ने एओएल पर पांच
करोड़ रुपये का जुर्माना थोपा था.
इसके बाद एओएल ने स्वयं को धर्मार्थ संस्था बताते हुए इतनी बड़ी रकम चुकाने में
असमर्थता जाहिर की थी और विश्व सांस्कृतिक समारोह शुरू होने के दिन 11 मार्च 2016
को सिर्फ 25 लाख रुपये एनजीटी में जमा कराए थे.
एओएल के आवेदन पर एनजीटी ने बाकी की राशि जमा कराने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया
था जो कि एक अप्रैल को समाप्त हो गया. लेकिन, एओएल ने राशि नहीं जमा कराई.