देश में शुरु हुआ पहचान का `आधार'
देश में शुरु हुआ पहचान का `आधार'
नंदूरबार. 29 सितंबर 2010
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस महासचिव सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र के
नंदूरबार जिले के तेंभली गांव के 10 रहवासियों को उनका विशिष्ट पहचान नंबर देकर
“आधार” परियोजना की शुरुआत की. आधार भारत सरकार की एक महत्वकांक्षी परियोजना है
जिसके अंतर्गत सभी भारतवासियों को `यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर’ यानी कि यूआईडी दिया
जाएगा. इस पहचान पत्र इस्तेमाल बैंक खाता खोलने, टेलीफोन कनेक्शन लेने, पैन कार्ड
बनावाने जैसे उन सभी सरकारी-गैर सरकारी कामों के लिए किया जा सकता है जिनमें पहचान
पत्र की जरूरत होती है.
इस मौके पर महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकर नारायणन, मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण,
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया और यूआईडीएआई प्रमुख नंदन नीलेकणी
भी मौजूद थे. समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि ये
महत्वाकांक्षी योजना है और आधुनिक भारत का प्रतीक है और ये विभिन्न परियोजनाओं के
लिए नींव की तरह काम करेगी. वहीं कांग्रेस महासचिव सोनिया गांघी ने कहा कि ये कदम
सूचना का अधिकार, नरेगा और शिक्षा का अधिकार जैसे कार्यक्रमों की तरह ही विकास को
व्यापक बनाने की दिशा में उठाया गया एक क़दम है.
एक बार जो जानकारी इस पहचान पत्र में दाखिल हो जाएगी उसे कभी हटाया नहीं जा सकेगा,
जबकि नई जानकारी समय-समय पर जोड़ी जा सकती है. इससे सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को
होगा जो कोई पहचान के सबूत न होने की वजह से बैंकिंग के साथ-साथ सरकार की तमाम
फायदेमंद योजनाओं का फायदा नही उठा पा रहे है. आधार के बाद लोगों को अलग-अलग पहचान
पत्र रखने की जरूरत नहीं होगी. ये कार्ड अपने आप में एक विशिष्ट पहचान रखेगा.
इस योजना के पहले चरण में लगभग एक करोड़ 20 लाख लोगों को ये कार्ड उपलब्ध कराए
जाएंगे. सरकार ने वर्ष 2014 तक देश के 60 करोड़ लोगों को इस परियोजना के दायरे में
लाने की योजना बनाई है.