जापान में जलजला
जापान में जलजला
टोक्यो. 12 मार्च 2011
पूर्वोत्तर जापान में शुक्रवार को रिक्टर स्केल पर 8.9 की तीव्रता से
आए भयंकर भूकंप के बाद आए सुनामी से भारी तबाही मच गई. सुनामी की लहरें देश के
पूर्वोत्तर तटों पर 13 से 33 फीट ऊंची उठीं और अपने साथ लोग, इमारतें, कारें, जहाज
इत्यादि समेट ले गईं. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस प्रकृतिक आपदा में मरनेवालों की
संख्या 1000 से ज्यादा है, जिनमें से 400 लोगों की मौत की आधिकारिक पृष्टि हो चुकी
है.
अमरीकी भौगोलिक सर्वे के मुताबिक़ भूकंप की तीव्रता 8.9 थी और इसका केंद्र टोक्यो
से 400 किलोमीटर दूर समुद्रतल में था. इस सुनामी ने जापान के कई तटीय शहरों का
नक्शा ही बदल दिया है. इस त्रासदी से देश में रेल, विमान, बिजली इत्यादि सेवाएं
ठप्प पड़ गई हैं. देश के चार प्रांत मियागी, यामागाटा, फुकुशिमा और निगाटा घुप्प
अंधेरे में डूब गए हैं.
सबसे ज्यादा नुकसान मियागी प्रांत के सेंदई शहर में हुआ है, जहां कई मकान, गाड़ियां
और 100 लोगों को लेकर जा रहे पोत समेत एक पूरी की पूरी रेलगाड़ी भी बह गई. भूकंप के
बाद जापान के पांचों परमाणु संयंत्र बंद हो गए और कई इमारतों में आग भी लग गई.
इनमें इचिहारा रिफाइनरी भी शामिल है, एक परमाणु संयंत्र में भी आग लगी जिसे बुझा
लिया गया है.
जापानी सरकार ने देश में पहली बार न्यूक्लीयर आपातकाल की घोषणा कर दी है. भूकंप से
फुकुशिमा-दारची परमाणु संयंत्र के कूलिंग सिस्टम में खराबी आ गई है जिससे विकिरण का
खतरा बना हुआ है. सरकार ने वहां रहने वाले लगभग दो हज़ार लोगों को हटने के लिए कहा
है. मियागी परमाणु संयंत्र से भी आग की लपटें उठने की खबर आ रही है. इस सब के बीच
अमरीकी सरकार ने आपात स्थिति में ठंडा कर देने वाले केमिकल जापान पहुंचा दिए है
जिससे विकिरण को रोका जा सके.
इस बीच वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह जापान के इतिहास में सबसे बड़े भूकंपों में से
एक है. इसे हिरोशिमा-नागासाकी पर हुए परमाणु विस्फोट के बाद देश में हुई सबसे बड़ी
त्रासदी के रूप में देखा जा रहा है. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि जापान में
रहने वाले लगभग 25 हज़ार भारतीय सुरक्षित है. ज़्यादातर भारतीय कैंटो और कनसाई
इलाक़े में रहते हैं. भारतीय दूतावास ने किसी भी जानकारी के लिए टोक्यो में एक
कंट्रोल रुम भी खोल दिया है.